विवेकानंद केंद्र की ओर से रविवार को स्टील भवन में विमर्श कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसका विषय 'आज के परिप्रेक्ष्य में सामाजिक विकृतियां, कानून व अध्यात्म' था। मुख्य वक्ता जस्टिस पुष्पेंद्रसिंह भाटी ने कहा कि समाज, कानून और अध्यात्म एक-दूसरे से पृथक नहीं हैं, बल्कि एक-दूसरे के पूरक हैं। जब व्यक्ति या समाज अध्यात्म से दूर होता है, तभी व्यक्ति विशेष में और समाज में विकृतियों का जन्म होता है। अध्यात्म मूल्यों की कमी को पूरा करने का प्रयास कानून करता है, लेकिन कानून की सफलता के लिए भी समाज और अध्यात्म जरूरी हैं।
विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी के हिंदी प्रकाशन के राष्ट्रीय प्रमुख अशोक माथुर ने बताया कि यह दूसरा विमर्श कार्यक्रम था। मुख्य अतिथि केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्रसिंह शेखावत ने कहा कि समाज और अध्यात्म कानून की नींव हैं। हमारे संविधान में जहां अधिकारों को महत्ता दी गई हैं। वहां दायित्वों की बात भी कही गई है, इसलिए हमारा कर्तव्य है कि समाज को विकृतियों से बचाने के लिए हम अधिकार मात्र की बात नहीं करें और दायित्वों पर भी जोर दें। इसकी शुरुआत अपने घर व बच्चों से करें। उनमें अध्यात्म, राष्ट्रप्रेम, सही-गलत और एक-दूसरे के प्रति सद्भावना-सम्मान और विशेषकर नारी के सम्मान के विचारों का बीजारोपण करें। कार्यक्रम में “स्वामी विवेकानंद समग्र जीवन दर्शन' किताब का विमोचन भी किया गया। इस मौके पर प्रांत प्रमुख भगवान सिंह भी मौजूद थे। संचालन कृष्णकुमार बोराणा ने किया।
अतिथियों ने 'स्वामी विवेकानंद समग्र जीवन दर्शन' किताब का विमोचन किया।
समाज, कानून और अध्यात्म एक-दूसरे के पूरक : जस्टिस भाटी